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त्रिफला घृत: आँखों की हर समस्या के लिए आयुर्वेद का अमृत (संपूर्ण गाइड)

नमस्कार! जंगली मेडिसिन में आपका स्वागत है। हमारी पाँचों ज्ञानेंद्रियों में आँखें सबसे अनमोल हैं, जो हमें इस खूबसूरत दुनिया को दिखाती हैं। आज के डिजिटल युग में, जहाँ हमारा ज्यादातर समय मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन पर बीतता है, आँखों में ड्राइनेस, जलन, खुजली और नजर का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद के खजाने में एक ऐसी चमत्कारी औषधि है, जिसे नेत्र-रोगों का नाश करने और आँखों को नया जीवन देने के लिए जाना जाता है? हम बात कर रहे हैं त्रिफला घृत की।

आज हम इस लेख में त्रिफला घृत के बारे में A to Z सब कुछ जानेंगे और साथ ही आँखों को स्वस्थ रखने के उन 9 उपायों पर भी चर्चा करेंगे जिन्हें आयुर्वेद में सर्वोत्तम माना गया है।

औषधि की पहचान: त्रिफला घृत और महात्रिफला घृत

वानस्पतिक नाम (मुख्य घटक): त्रिफला (आँवला, हरड़, बहेड़ा) और गाय का घी।
आयुर्वेदिक नाम: त्रिफला घृत (Triphala Ghrita)

त्रिफला घृत क्या है?

यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे बनाने के लिए तीन फलों – आँवला, हरड़ और बहेड़ा (जिन्हें सामूहिक रूप से त्रिफला कहते हैं) को गाय के घी में एक विशेष शास्त्रोक्त विधि द्वारा सिद्ध किया जाता है। घी की यह खासियत होती है कि वह अपने साथ मिलाई गई जड़ी-बूटियों के गुणों को अपने अंदर सोख लेता है और उन्हें शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचाता है।

महात्रिफला घृत क्या है?

जब त्रिफला और घी के साथ-साथ भृंगराज, वासा, शतावरी, गिलोय, पिप्पली, मुलेठी, और नीलकमल जैसी अन्य शक्तिशाली जड़ी-बूटियों को भी मिलाकर घी सिद्ध किया जाता है, तो यह और भी अधिक गुणकारी हो जाता है। इसी शक्तिशाली मिश्रण को महात्रिफला घृत कहते हैं। यह आँखों के लिए और भी ज़्यादा फायदेमंद होता है।

यह एक क्लासिकल आयुर्वेदिक औषधि है जिसे बैद्यनाथ, डाबर, पतंजलि, झंडू जैसी कई प्रतिष्ठित कंपनियां बनाती हैं।

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त्रिफला घृत के अद्भुत औषधीय फायदे (Benefits of Triphala Ghrit)

  • आँखों की रोशनी बढ़ाए: यह आँखों की मांसपेशियों को पोषण देता है और रेटिना के स्वास्थ्य में सुधार कर दृष्टि को तेज करता है।

  • चश्मे का नंबर कम करे: नियमित सेवन से यह धीरे-धीरे आँखों की कमजोरी दूर करता है, जिससे चश्मे का नंबर कम होने में मदद मिलती है।

  • ड्राई आई सिंड्रोम का इलाज: यह आँखों में प्राकृतिक नमी पैदा करता है और रूखेपन (Dryness) को दूर कर जलन और चुभन से राहत दिलाता है।

  • आँखों की एलर्जी और खुजली: इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आँखों में होने वाली खुजली, लालिमा और पानी आने की समस्या को ठीक करते हैं।

  • कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम में राहत: जो लोग घंटों स्क्रीन पर काम करते हैं, उनकी थकी हुई और तनावग्रस्त आँखों को यह आराम और सुकून देता है।

  • रतौंधी (Night Blindness) में लाभकारी: यह आँखों के स्वास्थ्य को सुधारकर रात में कम दिखाई देने की समस्या में फायदा पहुँचाता है।

  • मोतियाबिंद (Cataract) की रोकथाम: इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण आँखों को फ्री-रेडिकल डैमेज से बचाते हैं, जिससे मोतियाबिंद जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है।

  • पाचन और कब्ज में सुधार: त्रिफला होने के कारण यह पेट को साफ करता है, पाचन अग्नि को बढ़ाता है और कब्ज को दूर करता है।

  • त्रिदोष का शमन: यह वात, पित्त और कफ, इन तीनों दोषों को संतुलित कर संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

सेवन विधि, मात्रा और प्रयोग

  • आंतरिक सेवन (Internal Use):

    • मात्रा: 1 चम्मच (लगभग 5-10 ग्राम) दिन में दो बार। बच्चों के लिए आधा चम्मच।

    • कैसे लें: सुबह खाली पेट और रात को सोने से लगभग एक घंटा पहले, एक कप गुनगुने दूध या गर्म पानी के साथ लें।

  • बाहरी प्रयोग (External Use):

    • काजल की तरह: साफ़ हाथों से इसे काजल की तरह आँखों के अंदर लगा सकते हैं। यह डार्क सर्कल और इन्फेक्शन को कम करता है।

    • नेत्र तर्पण (Netra Tarpan): यह एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जिसमें आँखों के चारों ओर उड़द दाल के आटे की रिंग बनाकर उसमें गुनगुना त्रिफला घृत भरा जाता है। इसे किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही कराना चाहिए।

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आँखों पर सबसे ज़्यादा तनाव है, इस आयुर्वेदिक अमृत को अपनाकर हम न केवल आँखों की समस्याओं को दूर कर सकते हैं, बल्कि अपनी दृष्टि को बुढ़ापे तक तेज और स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।

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अश्वगंधा श्वेत रक्त कोशिकाओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाता है जिससे एंटीबॉडी कार्य को मज़बूत करके रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

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प्रतिरक्षा को बढ़ाता है: अश्वगंधा शरीर में WBC को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए जाना जाता है, जिससे संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की ताकत बढ़ जाती है।

सावधानियाँ (Precautions)

  • गर्भवती महिलाएं इसका सेवन न करें। हालांकि, वे इसे बाहरी रूप से लगा सकती हैं।

  • जिन लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल या डायरिया की समस्या हो, वे इसका सेवन सावधानी से करें।

  • किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करने से पहले हमेशा एक योग्य वैद्य से परामर्श लेना सर्वोत्तम होता है।

रोगानुसार प्रयोग तालिका

रोग/समस्याप्रयोग की विधिअनुपान (किसके साथ लें)
आँखों की रोशनी बढ़ानाआंतरिक सेवनगुनगुना दूध
आँखों में ड्राइनेस/खुजलीआंतरिक और बाहरी सेवन (काजल)गर्म पानी
चश्मे का नंबर कम करनाआंतरिक सेवन + नेत्र तर्पणगुनगुना दूध
कंप्यूटर विज़न सिंड्रोमआंतरिक सेवन + पादाभ्यंगगर्म पानी
कब्ज और पाचन समस्याआंतरिक सेवनगर्म पानी

आँखों के स्वास्थ्य के लिए 9 आयुर्वेदिक उपाय

त्रिफला घृत के साथ-साथ आप इन उपायों को भी अपनाकर अपनी आँखों को हमेशा स्वस्थ रख सकते हैं:

  1. नेत्र धावन: रात भर मिट्टी के बर्तन में रखे त्रिफला के पानी से सुबह आँखें धोएं।

  2. अंजन (काजल): घर पर पारंपरिक विधि से बना काजल लगाएं।

  3. त्राटक: दीपक की लौ पर बिना पलक झपकाए ध्यान केंद्रित करें।

  4. पादाभ्यंग: रोज़ रात को पैर के तलवों में गाय के घी या सरसों के तेल से मालिश करें।

  5. नस्य: नाक में गाय के घी या अणु तेल की 1-2 बूँदें डालें।

  6. पथ्य आहार: पुराना अनाज, मूंग दाल, अनार, आंवला और सेंधा नमक का सेवन करें।

  7. अपथ्य विहार से बचें: मल-मूत्र के वेग को न रोकें, दिन में न सोएं और रात में ज्यादा न जागें।

  8. आईबॉल एक्सरसाइज: आँखों को धीरे-धीरे दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे घुमाएं।

  9. पर्याप्त नींद: 7-8 घंटे की गहरी नींद आँखों को आराम देने के लिए बहुत जरूरी है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. त्रिफला घृत और महात्रिफला घृत में क्या अंतर है? त्रिफला घृत में मुख्य रूप से त्रिफला और घी होता है, जबकि महात्रिफला घृत में त्रिफला के अलावा कई और जड़ी-बूटियां होती हैं, जो इसे और अधिक शक्तिशाली बनाती हैं।

2. इसका असर कितने दिनों में दिखता है? नियमित सेवन से 1 से 2 महीने में आपको स्पष्ट सुधार दिखना शुरू हो सकता है। यह व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति पर निर्भर करता है।

3. क्या इसे रोज इस्तेमाल कर सकते हैं? हाँ, इसे लंबे समय तक रोज़ाना इस्तेमाल करना पूरी तरह से सुरक्षित है।

निष्कर्ष (Conclusion)

त्रिफला घृत केवल एक औषधि नहीं, बल्कि आँखों के लिए एक संपूर्ण कायाकल्प चिकित्सा है। आज की जीवनशैली में जहाँ हमारी आँखों पर सबसे ज़्यादा तनाव है, इस आयुर्वेदिक अमृत को अपनाकर हम न केवल आँखों की समस्याओं को दूर कर सकते हैं, बल्कि अपनी दृष्टि को बुढ़ापे तक तेज और स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।

Disclaimer:

इस वेबसाइट पर प्रदान की गई सभी जानकारी, प्रयोग और उपाय केवल पारंपरिक ज्ञान, लोक मान्यताओं और सूचनात्मक उद्देश्य के लिए हैं।

  • परिणामों की कोई गारंटी नहीं: किसी भी औषधि या उपाय का फल व्यक्ति की अपनी शारीरिक प्रकृति, आस्था और कर्म पर निर्भर करता है। हम किसी भी प्रयोग से निश्चित परिणाम प्राप्त होने की कोई गारंटी नहीं देते हैं।

  • चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं: यह जानकारी किसी भी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर या डॉक्टर की सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए या औषधीय प्रयोग शुरू करने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

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