शिवलिंगी बीज (Bryonia laciniosa): संतान प्राप्ति और रोगनाशक आयुर्वेदिक औषधि

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Table of Contents

🌿 शिवलिंगी बीज – प्रमाणिक आयुर्वेदिक औषधि

भारत की परंपरागत औषधियों में शिवलिंगी बीज (Bryonia laciniosa) का विशेष स्थान है।
इसे विशेष रूप से संतान प्राप्ति, प्रजनन तंत्र की कमजोरी, और पाचन/कफ विकारों में अत्यंत लाभकारी माना गया है।

यह पोस्ट उन सभी के लिए उपयोगी है:

  • जो गर्भधारण (Conceiving) में कठिनाई अनुभव कर रहे हैं
  • बार–बार गर्भपात (Recurrent miscarriage) या hormonal imbalance से जूझ रहे हैं
  • या फिर किसी प्रमाणिक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी की गहराई से जानकारी चाहते हैं
शिवलिंगी बीज Bryonia lacunose

  • 🌿 पौधे की पहचान,
  • 🗺️ क्षेत्रीय नाम, और
  • 📚 आयुर्वेदिक ग्रंथों में प्रमाणिक उल्लेख

🌿 पौधे की पहचान

शिवलिंगी (Bryonia laciniosa) एक पतली बेल है जो बरसात के मौसम में खाली ज़मीन, झाड़ियों, पेड़-पौधों पर लिपटी हुई मिलती है। इसके पत्ते मुलायम और करेले जैसे दिखते हैं। फूल छोटे सफेद होते हैं, और फल छोटे-छोटे, कच्ची अवस्था में हरे रंग के होते हैं जिन पर सफेद धारियाँ होती हैं।

  • जब ये फल पकते हैं, तो सिंदूरी लाल हो जाते हैं
  • फल में 5-6 बीज होते हैं — ऊपर नुकीले, नीचे गोल आकार वाले
  • जब बीजों को ध्यान से देखें, तो उसमें शिवलिंग की आकृति नजर आती है — इसी वजह से इसका नाम शिवलिंगी पड़ा
  • बीजों पर एक जैली जैसा द्रव होता है — जब वो सूखते हैं, तो औषधीय गुण बढ़ जाते हैं
  • पौधे का पंचांग (जड़, पत्ती, तना, फल, बीज) सभी औषधीय रूप में उपयोगी हैं

🗺️ क्षेत्रीय नाम (टेबल में)

भाषा / क्षेत्रस्थानीय नाम
संस्कृतलिंगड़ानी, बहुपत्रा, चित्रफला, शिवबलि
हिंदीशिवलिंगी, लिम्नी, पंचगुरिया
कन्नड़मलिंगा नावली
गुजरातीचीवलिंगी
तमिलएवली
तेलुगूलिंग डोंडा
बंगालीशिवलिंगली
मराठीकावाडोली
मलयालमनिम्होमाका
नेपालीशिवलिंगी

💬 आप अपने क्षेत्र में इसे किस नाम से जानते हैं? कृपया नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें।

📚 आयुर्वेदिक ग्रंथों में शिवलिंगी का उल्लेख

शिवलिंगी का वर्णन कई आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है — विशेष रूप से स्त्री रोग, प्रजनन स्वास्थ्य, और कुष्ठ व वात रोगों के उपचार में।

ग्रंथसंदर्भ / प्रयोग
भावप्रकाश निघण्टुइसे चित्रफला नाम से वर्णित किया गया है – गुण: लघु, तीक्ष्ण, वात-कफ नाशक, गर्भजननकारी
राज निघण्टु“लिंगिनी” नाम से इसका उल्लेख — पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक, गर्भधारण सहयोगी
चरक संहितायौन व reproductive tonic के रूप में उल्लेख (संतानजनन हेतु)
कौमारभृत्य ग्रंथसंतति निर्माण और स्त्री रोगों में विशेष उपयोग बताया गया है

🔍 विशेष: भावप्रकाश में शिवलिंगी को सप्तधातु पुष्टिकारक कहा गया है — यानी शरीर की सातों धातुओं (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र) को पोषण देने वाली।

शिवलिंगी के आयुर्वेदिक गुणधर्म

सेवन विधि और मात्रा (टेबल सहित)

संरचित, प्रमाणिक औषधीय प्रयोग (1–5) (आपकी स्क्रिप्ट के अनुसार + भाषा सुधार के साथ)

🧪 शिवलिंगी के आयुर्वेदिक गुणधर्म

तत्वविशेषताएं
रसकटु (कड़वा), तिक्त (कसैला)
गुणलघु (हल्का), रूक्ष (सूखा), तीक्ष्ण (तेज़ प्रभावी)
वीर्यउष्ण (गर्म प्रकृति)
विपाककटु (कड़वा)
प्रभावकफ शामक, अग्निदीपक, स्तंभक, वाजीकरण

📏 सेवन विधि और मात्रा

औषधीय भागसेवन का स्वरूपमात्राRemarks
बीजचूर्ण2–4 ग्रामगाय के दूध / मिश्री के साथ
पत्तियों का रसताज़ा रस5–10 mlदिन में एक बार
पंचांगसूखा चूर्ण या क्वाथ3–6 ग्रामभोजन के बाद, गुनगुने पानी से
विशेष योग संयोजनउबालकर या पका करContext अनुसार (नीचे देखें)हमेशा ब्रह्मचर्य का पालन करें

🟠 मात्रा व्यक्ति की अवस्था और रोग के स्वरूप के अनुसार वैद्यकीय सलाह पर होनी चाहिए।

🧬 प्रमाणिक औषधीय प्रयोग (1–5)

🔢 प्रयोग 1: संतानदायक महायोग (स्त्री–पुरुष दोनों के लिए)

  • सामग्री:
    • शिवलिंगी बीज – 200g
    • पुत्रजीवक बीज – 200g
    • नागकेसर – 200g
    • पारस पीपल बीज – 200g
    • धागेवाली मिश्री – 400g
  • विधि: सभी औषधियों को अलग-अलग बारीक पीसें, छानें और मिश्री मिलाकर 10–12 ग्राम प्रतिदिन सुबह खाली पेट गाय के दूध के साथ लें।
  • अवधि: 40–45 दिन
  • विशेष निर्देश:
    • ब्रह्मचर्य का कठोर पालन करें
    • औषधियाँ ताज़ा और स्वच्छ हों

🔢 प्रयोग 2: शिवलिंगी + अश्वगंधा काढ़ा विधि

  • सामग्री:
    • शिवलिंगी बीज चूर्ण – 20g
    • अश्वगंधा चूर्ण – 20g
    • पानी – 100ml
    • गाय का दूध – 250ml
  • विधि: दोनों चूर्ण को पानी और दूध के साथ उबालें, जब तक पानी सूखकर दूध बचे। फिर इसे दो हिस्सों में बाँटकर स्त्री और पुरुष दोनों सुबह खाली पेट सेवन करें।
  • अवधि: 10–15 दिन
  • विशेष लाभ:
    • यौन कमजोरी, शुक्राणु वृद्धि, मानसिक और शारीरिक ताकत में सुधार

🔢 प्रयोग 3: मासिक धर्म के बाद शिवलिंगी बीज विधि (स्त्रियों हेतु)

  • दिन 5 से शुरू करें: 5 बीज प्रतिदिन खाली पेट गाय के दूध के साथ
  • हर दिन समान मात्रा 21 दिन तक लें
  • मासिक धर्म के दौरान बंद करें

📝 यह विधि विशेष रूप से अनियमित पीरियड्स, ओवेरियन रिज़र्व और हार्मोनल संतुलन के लिए लाभकारी मानी जाती है।

🔢 प्रयोग 4: आसान गृह प्रयोग (तीसरा विकल्प)

  • केवल शिवलिंगी बीज चूर्ण – 5 ग्राम
  • गाय के दूध के साथ सुबह–शाम
  • प्रारंभ करें मासिक धर्म के 5वें दिन से

💡 सीधा, सहज, गृह उपयोग योग्य उपाय — जिनको जड़ी-बूटी संयोजन जुटाना कठिन हो

🔢 प्रयोग 5: बीज वृद्धि विधि (1 से 21 तक – स्त्रियों के लिए)

  • पहले दिन 1 बीज, फिर हर दिन 1-1 बढ़ाते जाएं
  • 21वें दिन 21 बीज – गाय के दूध के साथ सेवन
  • लाभ:
    • गर्भ ठहरना
    • गर्भपात न हो
    • बार-बार गर्भ गिरने की समस्या में रामबाण

⚠️ सावधानियाँ और Contraindications

शिवलिंगी एक शक्तिशाली औषधि है — लेकिन कुछ बातें ज़रूरी हैं:

  • अधिक मात्रा में सेवन करने पर पेट में जलन, उल्टी, या दस्त हो सकते हैं
  • यह उष्ण प्रकृति की औषधि है — गर्मी में संतुलन आवश्यक
  • किसी भी स्त्री को मासिक धर्म के दौरान इसका सेवन नहीं करना चाहिए
  • गर्भावस्था के दौरान शिवलिंगी का प्रयोग न करें — केवल गर्भधारण हेतु प्रयुक्त हो
  • औषधियों का स्रोत शुद्ध और नई कटाई का हो — पुरानी या नमीयुक्त औषधियाँ असरकारक नहीं होतीं
  • सभी प्रयोग वैद्यकीय परामर्श के अधीन ही करें — विशेष रूप से हार्मोनल, फाइब्रॉइड, या थायरॉइड संबंधित रोगियों को

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⚠️ Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। किसी भी आयुर्वेदिक औषधि या उपचार को शुरू करने से पहले किसी योग्य वैद्य या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।

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