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Toggle🌿 सालम पंजा (Salam Panja): वीर्यवर्धक, बल्य और दुर्लभ हिमालयी औषधि
सालंबंजा, जिसे आयुर्वेद में मुंजातक, बीजबंध और सुरदेय जैसे नामों से जाना जाता है, एक अत्यंत प्रभावशाली बलवर्धक और शुक्रवर्धक औषधि है। इसका वैज्ञानिक नाम है Dactylorhiza hatagirea, और यह औषधि मुख्यतः भारत के हिमालयी क्षेत्रों, विशेषकर उत्तराखंड, कश्मीर, सिक्किम, और नेपाल की 8,000 से 12,000 फीट की ऊँचाई पर पाई जाती है।
इसका मूल (कंद) हाथ के पंजे जैसा दिखता है, इसलिए इसे सालम पंजा कहा जाता है। यह जड़ी-बूटी इतनी दुर्लभ और शक्तिशाली है कि आयुर्वेद में इसे अश्वगंधा, कौंच, विदारी जैसे पौष्टिक औषधियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह अष्टवर्ग की औषधियों से मिलता-जुलता कंद है, जिसे प्राचीन ग्रंथों में बल्य, वृष्य, रसायन और वयोस्थापन के रूप में वर्णित किया गया है।
🔬 वैज्ञानिक शोधों से प्रमाणित प्रभाव:
- एक अध्ययन (Sharma et al., 2015) के अनुसार, सालंबंजा में पाए जाने वाले फ्लावोनॉयड्स और टैनिन्स पुरुष प्रजनन क्षमता और वीर्य गुणवत्ता बढ़ाने में प्रभावी हैं।
- Journal of Ayurveda and Integrative Medicine में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, यह औषधि टेस्टोस्टेरोन बूस्टर, एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों से भरपूर है।
- लोक चिकित्सकों के अनुसार, यह औषधि प्रसवोत्तर दुर्बलता, धातुक्षीणता, और वातजन्य कमजोरी में आश्चर्यजनक परिणाम देती है।
📜 आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लेख
ग्रंथ | उल्लेख |
---|---|
भावप्रकाश निघंटु | मुंजातकं गुरु शीतं बलं वृष्यं रसायनम्। — यानी यह बलदायक, वीर्यवर्धक और रसायन गुणों से युक्त है। |
राजनिघंटु | इसे ‘अत्ताजड़ी’ और ‘बीजबंध’ नामों से दर्ज किया गया है और ‘शुक्रदोष निवारक’ बताया गया है। |
चरक संहिता (अप्रत्यक्ष रूप में) | अष्टवर्ग की औषधियों जैसे जीवक, ऋषभक से इसकी तुलना की गई है, जो शारीरिक बल और उर्वरता बढ़ाने के लिए प्रयोग होते हैं। |
🌍 सालंबंजा के नाम विभिन्न भाषाओं में
भाषा | नाम |
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संस्कृत | मुंजातक, बीजबंध, अत्ताजड़ी |
हिंदी | सालम पंजा, सालंबंजा |
पंजाबी | सालम मिश्री |
गुजराती | सालम पाक |
उर्दू | सालम |
अंग्रेज़ी | Marsh Orchid, Salep Orchid |
लैटिन (वानस्पतिक) | Dactylorhiza hatagirea |
यह हिमालय की एक वृश्चिक (orchid) जड़ी है, 2500–5000 मी. की ऊँचाई में पाई जाती है टयूबेर की बनावट हाथ-पंजे जैसी होती है, और इसका प्रयोग मुंजातक और शुक्रवर्धन के लिए सदियों से होता आया है।
✅ आयुर्वेदिक लाभ (Bullet Format)
- बल्य-वृद्धि: पुष्टिवर्धक (बृहत), शरीर को मजबूत बनाती है
- शुक्र वर्धक एवं स्तंभक: शुक्र की मात्रा बढ़ाते और नियंत्रित भी करती है
- वात-नाड़ी बल्य: नाड़ी स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाती है
- व्योस्थापन (वृद्धावस्था-रोक): बुढ़ापा धीमा करती है
- दीर्घकाळीन कमजोरी: कमजोर अवस्था, प्रसवोत्तर दुर्बलता आरामदायक
- उपचय रोगों: जीर्णअतिसार, वात विकार, शुक्र वर्धन
- नाड़ी तंत्र को पुष्ट करती है, और सर्दियों में गर्म पाक रूप में विशेष लाभकारी रहती है।
✅ सेवन विधि, मात्रा, विकल्प (Table Format)
भाग/प्रकार | सेवन विधि | मात्रा | विकल्प |
---|---|---|---|
शुष्क टयूबेर | दूध में खीर/पाक में | 10 ग्राम चूर्ण + 250 मि.ली. दूध | मिश्री या शक्कर |
प्रसवोत्तर खीर | 10 ग सालम पंजा + 30 ग बादाम + दूध + मिश्री | सुबह खाली पेट | गर्म मौसम में नारियल दूध |
जीर्ण अतिसार | 3–3 ग टयूबेर चूर्ण + मट्ठा | दिन में 2 बार | इलायची |
शुक्र विकार | 3–3 ग + दूध | सुबह‑शाम | शतावरी, अश्वगंधा |
वात विकार | उतार‑पाक (गर्म गेंद) | मौसम अनुसार | अदरक, सोंठ |
📚 आयुर्वेदिक ग्रंथ और आधुनिक शोध
- आयुर्वेदिक संदर्भ: मुंजातक रूप में वर्णित, भवप्रकाश निघंटु में शुक्रबल्य, वृश्य गुण रूप में उल्लेख है। ध्यान दें कि अष्टावर्ग में जीवकृषक के रूप में प्रयोग, पर मुख्य पहचान मुंजातक ही है।
- Adhikari et al. (2018) के अनुसार यह उच्च ऊँचाई पर पाई जाती है और overexploited है PubMed।
- Subhash Sharma et al. (2024) में टयूबेर में उच्च स्तर के dactylorhins-A–E, flavonoids, terpenoids, phenolics जैसे यौगिक मौजूद पाए गए, जिनमें antioxidant, anticancer, hypoglycemic, neuroprotective व aphrodisiac गतिविधियाँ पायीं गईं PubMed+1ajprd.com+1।
- ResearchGate review (2012) में इसे dysentery, cough, fractures, sexual weakness, postpartum debility, fever, gastric ulcer आदि में पारंपरिक उपयोग योग्य बताया गया है ResearchGate।
- Unani-समीक्षा (2019) में Orchis latifolia (Salabmisri) के aphrodisiac, hypolipidemic, antihypertensive प्रभाव प्रकाशित ResearchGate+4ResearchGate+4phytopharmajournal.com+4।
✅ सावधानियाँ + निष्कर्ष
- ⚠️ गर्भावस्था/स्तनपान: केवल वैद्य की सलाह से लें
- ⚠️ ह्रदय, रक्तचाप, मधुमेह रोगी डॉक्टर की देख-रेख में उपयोग करें
- ⚠️ अत्यधिक सेवन: पाचन विकार, एलर्जी, जिगर प्रभावित हो सकता है
- ✅ कच्चा माल शुद्धता महत्वपूर्ण: टयूबेर पर लकड़ी जैसा डंठल और हल्की सरकंदल पहचान में सहायक
- ✅ संरक्षण: जंगली संग्रह की दबाव बढ़ने से प्रजाति संकट में है, केवल प्रमाणित स्रोत से खरीदें और स्थानीय नियामकों के अनुसार उपयोग करें
निष्कर्ष: जब सही मात्रा व शुद्ध रूप में लिया जाए, तो सालंबंजा एक उत्तम पुष्टिवर्धक, शुक्रवर्धक, वात-विरोधी और वृद्धावस्था-रोक औषधि है—लेकिन मेडिकल इंस्पेक्शन जरूरी।
❓ FAQs (Snippet-Friendly)
सालम पंजा क्या है?
यह हिमालय की ‘मुंजातक’ नामक जड़ी है, टयूबेर हाथ-पंजे जैसे दिखते हैं, और यह धातु व बल्य वर्धक औषधि है।
किसे उपयोग करना चाहिए?
कमजोरी, द्रवातिसार, शुक्र समस्या, प्रसवोत्तर दुर्बलता, वृद्धावस्था-जगत में इसको उपयोगी माना गया है।
सेवन कैसे किया जाए?
10 ग चूर्ण दूध/मट्ठा/कड़ी के साथ सुबह‑शाम, 1–3 ग चूर्ण में विकल्प की जड़ी मिलाकर।
साइड इफेक्ट?
अत्यधिक सेवन से पाचन, जिगर, एलर्जी समस्याएँ हो सकती हैं—डॉक्टर से सलाह लें।
क्या दवा के साथ ले सकते हैं?
रक्तचाप, मधुमेह या हृदय-रोधी औषधि ले रहे हों तो पूर्व परामर्श ज़रूरी।
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यह वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल Ak Ayurveda से लिया गया है और इसमें ऊपर दिए गए ब्लॉग विषय को वीडियो के रूप में समझाया गया है।
🛑 Disclaimer
यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी जड़ी औषधि का उपयोग करने से पहले चिकित्सकीय परामर्श ज़रूरी है।