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शीर्षक: अंकोल के फायदे: एक दिव्य औषधि जो कई बीमारियों का रामबाण इलाज है

परिचय

Ankol Seeds - Alangium Salvifolium

नमस्कार भाइयों और बहनों! स्वागत है आपका जंगली मेडिसिन में।

आज हम एक ऐसी औषधि की चर्चा करने जा रहे हैं, जिसे हमारे आयुर्वेदिक शास्त्रों में दिव्य औषधियों में गिना गया है। कहते हैं कि अगर किसी मरणासन्न व्यक्ति को इसका तेल नस्य करवा दिया जाए, तो वह भी उठकर बैठ सकता है। इतना शक्तिशाली प्रभाव है इस जड़ी-बूटी का।

अंकोल की पहचान और नाम

यह छोटा से मध्यम आकार का कांटेदार वृक्ष होता है। इसकी पत्तियाँ सरल, अंडाकार और हल्की खुरदरी होती हैं। गर्मियों में इस पर सफेद या हल्के पीले फूल आते हैं और फल पकने पर बैंगनी-काले हो जाते हैं।

  • संस्कृत नाम: अंकोल

  • वैज्ञानिक नाम: Alangium salvifolium

  • हिंदी: अंकोल

  • मराठी: अंकोल

  • तेलुगु: अनकोला

  • तमिल: अलांगी

  • कन्नड़: अलांगीमरा

अंकोल के गुणधर्म और फायदे

आयुर्वेद के अनुसार, अंकोल में ये गुण पाए जाते हैं:

  • रस: कषाय (तीखा कसैला), कटु और तिक्त।

  • गुण: लघु और तिक्ष्ण।

  • वीर्य: उष्ण (गर्म)।

  • विपाक: कटु।

  • प्रभाव: विषनाशक और वात-पित्त शामक।

इसका प्रभाव त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) पर देखने को मिलता है। यह विशेष रूप से वात और पित्त को शांत करता है और कफ को बाहर निकालने में भी मदद करता है।

सेवन विधि और मात्रा

अंकोल का उपयोग चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें। यहाँ दी गई मात्राएँ केवल जानकारी के लिए हैं:

  • छाल: 125 मि.ग्रा से 2 ग्राम तक

  • पत्ते: 1-2 ग्राम तक

  • फल: 2 ग्राम तक

  • बीज: 1-2 ग्राम तक

  • फूलों का चूर्ण: 500 मि.ग्रा से 2 ग्राम तक

  • तेल: 2-15 बूंद नस्य या मालिश के लिए

सावधानियाँ

  • इसका उपयोग केवल आयुर्वेदिक चिकित्सक या वैद्य की देखरेख में ही करें।

  • मात्रा से अधिक सेवन करने पर उल्टी, दस्त या अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

  • गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

रोगानुसार अंकोल के प्रयोग

रोगप्रयोग विधि
पीलिया (Jaundice)अंकोल की छाल को चावल के मांड में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
घाव (Wound)छाल की भस्म बनाकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं।
मूर्छा (बेहोशी)पत्तों को उबालकर भाप देने या सिर पर लेप करने से होश आता है।
सूजन (शोथ)पत्तों की लुगदी बनाकर सूजन वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है।
बवासीरपत्तों की भस्म से बना मरहम मस्सों को सुखाने में मदद करता है।
कुष्ठ और सफेद दागछाल को पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
विषनाशकसर्पदंश और अन्य विषों में छाल का काढ़ा घी में मिलाकर पिलाने से विष नष्ट होता है।
प्रमेहछाल के चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
श्वास रोग (Asthma)जड़ को नींबू रस में पीसकर सेवन करने से कफ बाहर निकलता है।
जलोदर (Ascites)छाल का चूर्ण 2-3 ग्राम मात्रा में देने से पेट में जमा पानी बाहर निकलता है।
मानसिक रोगअंकोल तेल का नस्य मानसिक विकारों में लाभकारी बताया गया है।

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अंकोल एक शक्तिशाली और बहुमुखी औषधि है, जिसके गुण हमारे आयुर्वेद में सदियों से वर्णित हैं। यह हमें याद दिलाता है कि प्रकृति में हमारे लिए कितने अनमोल खजाने छिपे हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1: अंकोल का मुख्य उपयोग क्या है? A: अंकोल का मुख्य उपयोग विषनाशक के रूप में और वात-पित्त से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है।

Q2: क्या अंकोल का कोई दुष्प्रभाव है? A: हाँ, चिकित्सक की सलाह के बिना और अधिक मात्रा में सेवन करने पर उल्टी, दस्त या अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

Q3: अंकोल के फल खाने के बाद मुँह से गंध क्यों आती है? A: अंकोल फल खाने के बाद मुँह से मछली जैसी गंध आती है, जिसे दूर करने के लिए कच्चा आम खाया जाता है।

निष्कर्ष

अंकोल एक शक्तिशाली और बहुमुखी औषधि है, जिसके गुण हमारे आयुर्वेद में सदियों से वर्णित हैं। यह हमें याद दिलाता है कि प्रकृति में हमारे लिए कितने अनमोल खजाने छिपे हैं। लेकिन, किसी भी औषधि का उपयोग हमेशा सही जानकारी और मार्गदर्शन के साथ ही करना चाहिए।

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अगले वीडियो में एक और दिव्य औषधि की चर्चा करेंगे। तब तक के लिए जय आयुर्वेद!

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इस वेबसाइट पर प्रदान की गई सभी जानकारी, प्रयोग और उपाय केवल पारंपरिक ज्ञान, लोक मान्यताओं और सूचनात्मक उद्देश्य के लिए हैं।

  • परिणामों की कोई गारंटी नहीं: किसी भी औषधि या उपाय का फल व्यक्ति की अपनी शारीरिक प्रकृति, आस्था और कर्म पर निर्भर करता है। हम किसी भी प्रयोग से निश्चित परिणाम प्राप्त होने की कोई गारंटी नहीं देते हैं।

  • चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं: यह जानकारी किसी भी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर या डॉक्टर की सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए या औषधीय प्रयोग शुरू करने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

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