अडूसा के फायदे – खांसी, दमा, त्वचा और लीवर के लिए आयुर्वेदिक औषधि

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परिचय:

आज के इस लेख में हम जानेंगे:

  • अडूसा की आयुर्वेदिक पहचान
  • इसके औषधीय गुण
  • उपयोग के वैज्ञानिक आधार
  • सेवन विधियाँ
  • सावधानियाँ और निष्कर्ष

  • संस्कृत नाम: वासा
  • वैज्ञानिक नाम: Justicia adhatoda
  • पर्यायवाची नाम: वासक, वृशा, वास
  • रस (स्वाद): कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा), कषाय (कसैला)
  • वीर्य (ऊष्मा गुण): उष्ण (गर्म प्रकृति)
  • विपाक (पाचन प्रभाव): कटु
  • दोषों पर प्रभाव: कफ और पित्त का शमन करता है

अडूसा मुख्यतः भारत के मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसकी पत्तियां, फूल, जड़ और पंचांग (संपूर्ण पौधा) औषधि के रूप में उपयोग किए जाते हैं।


1. श्वसन तंत्र का रक्षक:

अडूसा को आयुर्वेद में “श्वास कास हर” कहा गया है। यह कफ को बाहर निकालने की क्षमता रखता है और श्वसन तंत्र को बल देता है। खासतौर पर दमा (Asthma), पुरानी खांसी, ब्रोंकाइटिस, और फेफड़ों की सूजन में यह बहुत लाभकारी है।

2. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला:

आजकल महामारी जैसे स्वाइन फ्लू, SARS और COVID-19 जैसी बीमारियों में अडूसा का उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। यही कारण है कि इसे च्यवनप्राश जैसे रसायनों में भी डाला जाता है।

3. रक्तशोधक और ज्वर नाशक:

अडूसा एक उत्कृष्ट रक्तशोधक है। जैसे कालमेघ, गिलोय और चिरायता रक्त की अशुद्धियों को दूर करते हैं, वैसे ही अडूसा भी रक्त को शुद्ध करता है और इसीलिए बुखार में भी लाभदायक होता है।

4. मानसिक विकारों में उपयोगी:

डिप्रेशन, माइग्रेन, मिर्गी, उन्माद और स्ट्रेस जैसी मानसिक समस्याओं में भी अडूसा लाभकारी सिद्ध हुआ है। आज की डिजिटल जीवनशैली में उत्पन्न तनाव को दूर करने के लिए यह रामबाण है।

5. मुँह और दांतों की समस्याओं में:

पायोरिया, मसूड़ों की सूजन, दांतों की सड़न जैसी समस्याओं में अडूसा का काढ़ा कुल्ला करने या चूर्ण से मंजन करने से बहुत लाभ होता है।

6. त्वचा रोगों में सहायक:

खुजली, दाद, शीतपित्त (Urticaria) और अन्य चर्म रोगों में अडूसा का प्रयोग बहुत ही प्रभावशाली है। आंतरिक और बाह्य रूप दोनों में इसके उपयोग से लाभ मिलता है।

7. बॉडी ऑडर और पसीने की दुर्गंध में:

गुलाब जल, नींबू रस, बेल पत्र चूर्ण और अडूसा चूर्ण मिलाकर शरीर की मालिश करने से शरीर की दुर्गंध समाप्त होती है। साथ में इनका आंतरिक सेवन भी किया जा सकता है।

8. पाचन तंत्र पर असर:

अगर पेट में अल्सर, कीड़े, पेचिश, संक्रमण या इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) की समस्या हो, तो अडूसा रामबाण है।

9. लीवर और किडनी के रोग:

पुनर्नवा, कासनी, पित्तपापड़ा की तरह अडूसा भी लीवर और किडनी दोनों के लिए लाभदायक है। पीलिया, लिवर सिरोसिस, बढ़ा हुआ क्रिएटिनिन या यूरिक एसिड – सभी में अडूसा की उपयोगिता सिद्ध है।

10. गुलकंद और प्रजनन स्वास्थ्य:

अडूसा के फूलों से गुलकंद भी तैयार किया जाता है जो पुरुषों के लिए धातु क्षय, प्रमेह आदि रोगों में अत्यंत पौष्टिक और असरदार होता है।


एपिसोड में। आज हम बात करेंगे एक ऐसी वनस्पति की, जो ना केवल सदियों से आयुर्वेद में प्रसिद्ध है, बल्कि आधुनिक समय में फैल रही महामारियों के इलाज में भी बेहद प्रभावशाली मानी जा रही है – और वह है अडूसा

संस्कृत में इसे वासा कहते हैं, वैज्ञानिक नाम है Adhatoda vasica, और ये खासकर हिमालय की तराई, पश्चिमी घाट, और भारत के तमाम गर्म प्रदेशों में पाया जाता है।

  • रस: तिक्त (कड़वा), कटु (तीखा)
  • वीर्य: शीतेष्ण (शीतल)
  • विपाक: कटु
  • दोष प्रभाव: कफ-पित्त शामक
  • मुख्य अंग: पंचांग (जड़, तना, पत्ते, फूल, बीज)

मुख्य औषधीय उपयोग:

  1. श्वास रोगों का इलाज: अडूसा खांसी, दमा (asthma), ब्रोंकाइटिस, बलगमी खांसी में अत्यंत उपयोगी है। इसका काढ़ा गले की खराश और बलगम को साफ करता है।
  2. महामारी में प्रभावी: कोरोना, SARS, स्वाइन फ्लू जैसे वायरल संक्रमणों में अडूसा की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली भूमिका देखी गई है।
  3. रक्तशोधक: जैसे कालमेघ, गिलोय और चिरायता रक्त को शुद्ध करते हैं, अडूसा भी वैसा ही एक शक्तिशाली रक्तशोधक है। इससे त्वचा विकार और बुखार स्वतः ठीक होने लगते हैं।
  4. मानसिक रोग: मिर्गी, माइग्रेन, तनाव, उन्माद, मानसिक थकान जैसी समस्याओं में अडूसा लाभकारी माना गया है।
  5. मुख रोग: पायोरिया, दांतों की सड़न, मसूड़ों की सूजन – अडूसा के चूर्ण से मंजन या काढ़े से कुल्ला करने से लाभ होता है।
  6. त्वचा रोग: खुजली, फोड़े-फुंसी, शीतपित्त (urticaria) जैसे रोगों में बाह्य व आंतरिक रूप से अडूसा का प्रयोग कारगर है।
  7. शारीरिक दुर्गंध: अडूसा चूर्ण + बेल पत्तों का चूर्ण + गुलाब जल व नींबू का मिश्रण शरीर पर मलने से दुर्गंध दूर होती है।
  8. पाचन समस्याएं: अल्सर, पेट में कीड़े, पेचिश, IBS में अडूसा बेहद फायदेमंद है।
  9. लीवर व किडनी रोग: पित्तपापड़ा, पुनर्नवा जैसी औषधियों के साथ अडूसा लीवर सिरोसिस, पीलिया व किडनी की बीमारियों में उपयोगी है।
  10. सेक्सुअल हेल्थ: अडूसा के फूलों से बना गुलकंद धातुक्षीणता, प्रमेह व वीर्यवृद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है।

सेवन विधि तालिका:

औषध रूपमात्राप्रयोग विधिआवृत्ति
पंचांग का काढ़ा10–15 ग्राम2 गिलास पानी में पकाकर, आधा गिलास बचने तक उबालेंदिन में 2-3 बार
फूलों का गुलकंद1 चम्मचसुबह खाली पेट व रात को भोजन के बाददिन में 2 बार
चूर्ण (दांतों के लिए)1-2 ग्राममंजन या कुल्ला हेतुप्रतिदिन
  • गर्भवती महिलाएं बिना वैद्य के परामर्श के सेवन न करें।
  • कफ की अधिकता होने पर ही इसका प्रयोग करें, वात प्रधान व्यक्तियों में सीमित प्रयोग करें।

अडूसा एक ऐसी वनस्पति है जो न केवल श्वास रोग, त्वचा रोग, बल्कि मानसिक व पाचन समस्याओं से लेकर यौन स्वास्थ्य तक

अडूसा (वासा) एक ऐसी वनस्पति है जिसे प्राचीन काल से लेकर आज तक आयुर्वेद में अत्यंत आदर के साथ देखा गया है। इसके गुण बहुपक्षीय हैं – श्वसन से लेकर त्वचा, मानसिक स्वास्थ्य से लेकर पाचन तंत्र और यहां तक कि किडनी व लिवर तक। इसे सही मात्रा और विधि से सेवन किया जाए तो यह औषधि कई आधुनिक बीमारियों का हल बन सकती है।

अगले एपिसोड में ऐसे ही किसी इंटरेस्टिंग विषय के साथ मैं आपके समक्ष उपस्थित रहूंगा। तब तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए। बाय।

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी औषधि का सेवन करने से पहले योग्य आयुर्वेदाचार्य या वैद्य से परामर्श लें। में गहराई से प्रभाव डालती है।


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Q1: अडूसा क्या है और यह किस बीमारी में उपयोगी है?
A: अडूसा (Adusa) एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है जो खासकर खांसी, अस्थमा, त्वचा रोग, बुखार, मानसिक तनाव और लिवर संबंधी रोगों में लाभकारी है।

Q2: अडूसा की सही सेवन विधि क्या है?
A: अडूसा पंचांग का काढ़ा बनाकर दिन में 2–3 बार पिया जाता है। इसके फूलों का गुलकंद भी रोज सुबह-शाम 1 चम्मच लिया जा सकता है।

Q3: क्या अडूसा बच्चों के लिए सुरक्षित है?
A: सीमित मात्रा में वैद्य की सलाह से बच्चों को अडूसा दिया जा सकता है। परंतु डोज में सावधानी ज़रूरी है।

Q4: क्या अडूसा लीवर और किडनी के लिए भी फायदेमंद है?
A: हाँ, अडूसा लीवर सिरोसिस, पीलिया, और किडनी के संक्रमण जैसे रोगों में भी अत्यंत लाभकारी है।

Q5: अडूसा का प्रयोग किन सावधानियों के साथ करना चाहिए?
A: गर्भवती महिलाओं और जिनकी पाचन क्षमता बहुत कमजोर हो, उन्हें वैद्य से परामर्श लेकर ही सेवन करना चाहिए।

इस लेख में दी गई जानकारी शैक्षणिक उद्देश्य से है, कृपया किसी भी औषधीय प्रयोग से पहले किसी योग्य वैद्य से परामर्श अवश्य लें।

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